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    इतिहास

    पिछली शताब्दी के मध्य में मैनपुरी जजशिप ने तीन जिलों, अर्थात् मैनपुरी, एटा और इटावा का न्यायिक प्रशासन चलाया। पिछली शताब्दी के अंतिम दशक में एटा इस न्यायाधीश पद से अलग हो गया और जिला न्यायाधीश का न्यायालय केवल मैनपुरी और इटावा में ही आयोजित हुआ। यह 1958 तक जारी रहा जब तक कि इटावा एक अलग जजशिप नहीं बन गया। इस प्रकार, जिला न्यायाधीश, मैनपुरी का क्षेत्राधिकार केवल इस जिले पर ही रह गया। जिले में अपराध इतने बढ़ गए कि जिला न्यायाधीश काम का सामना नहीं कर सके और उनकी सहायता के लिए अस्थायी सिविल और सत्र न्यायाधीशों को नियुक्त किया गया। आपराधिक प्रक्रिया की नई संहिता 1-4-1974 से लागू हुई और मई, 1974 से सिविल और सत्र न्यायाधीशों के कैडर को अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीशों द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया।